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8 मार्च महिला दिवस का आयोजन केन्द्रीय विद्यालय पंजाब लाइंस मेरठ में



एक महिला एक माँ का दूध जिसने पिया,उसकी गोद में सुख निवास किया।उसने अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दौर देखा,पर समाज में उसका नाम अब तक कहीं नहीं लिखा।
वो जिसने अपने सपनों को जीने का हक़ मांगा,पर उसे सपनों से ज्यादा अपने घर की चिंता थी आंगन में लगा।वो जिसने खुद को समर्पित किया बच्चों के लिए,पर अपने सपनों की तलाश में अकेले थी राहों पे भटकती।
उसने सोचा जब मैं छोटी थी तब मुझे कोई बचाता नहीं था,अब मुझे जीवन का अधिकांश समय अपने बच्चों के साथ ही बिताना है।उसने अपनी आवाज़ उठाई, अपनी आज़ादी की मांग की,सबको बताया कि वह भी एक समान है, महिला भी इंसान है।
उस बेबस महिला को समाज ने नहीं समझा,उसे आज़ादी की जंग लड़नी पड़ी, एक नई दुनिया बनानी पड़ी।वो आज अपने सपनों को साकार कर रही है,महिलाओं के लिए सबसे अच्छा नेतृत्व प्रस्तुत कर रही है।






हवा की तरह चलते रहो,जिंदगी के सफर में नए मौसमों को खोजते रहो।चोट खाए तो नहीं रुकना,बल्कि मजबूत होकर आगे बढ़ते रहो।
मुश्किलों से हार नहीं मानना,जीतने की लगातार कोशिश करते रहो।आसमानों को छूने की चाह करो,अपनी उड़ान को साकार करते रहो।
अपने सपनों की ओर दौड़ते रहो,नयी सीमाओं को छूने की उम्मीद रखते रहो।जीवन के हर पल को जीकर जिओ,खुशियों को बाँटते रहो और खुद खुश रहते रहो।



हंसती हुई चेहरे की झलक,खुशियों से भरी ये पलकें,जीवन के रंगों से सजी,हर पल कुछ नया लगता है।
अच्छाई की धुन में गुंजती,जिंदगी की फुलखरी चमकती,सभी के दिल में खुशियां जगाती,हर रोग से सुख की दवा बन जाती।
चिंताओं से छुटकारा पाकर,सभी को आनंदित करती है,बुराई से दूर जीवन जीकर,सभी को जीवन का अर्थ समझाती है।
खुशियों की बारिश बरसाती,चाहतों के समुन्दर में नहाती,सभी को प्रेरित करती है,जीवन के सफर में आगे बढ़ने को।
खुशियों से भरी ये कविता,दिल को सुकून देने वाली,जीवन में हमेशा सुखी रहने का मंत्र,सभी को समझाती है यही।








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